6 साल के भाई की त्याग की कहानी
एक बार एक 2 साल की छोटी बच्ची रक्त की एक बहुत विकृत बीमारी से ग्रसित थी। अस्पताल में भर्ती वह छोटी सी जान अपनी आखिरी सांसें गिन रही थी। अस्पताल के लोग उसे बचाने के लिए बहुत प्रयास कर रहे थे मगर उसकी कम नसीबी थी कि उसके ब्लड ग्रुप का रक्त कहीं भी मिल नहीं पा रहा था। इसलिए एक आखरी उम्मीद के तहत उस छोटी बच्ची के बड़े भाई जो कि 6 साल का था उसके रक्त की जांच की गई और उसका ब्लड ग्रुप मैच हो गया फैमिली और डॉक्टरों को एक बड़ी राहत हुई।
उस 6 साल के छोटे लड़के की मां और डॉक्टरों ने उसे अपने पास बुलाया और उसे समझाया कि कैसे वह अपना रक्त देकर अपनी बहन की जान बचा सकता है। सब की बात सुनकर वह बच्चा थोड़ा मौन हो गया और थोड़ी देर बाद बोला मुझे सोचने के लिए थोड़ा सा समय दीजिए। किसी को भी उस बच्चे से ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी मगर डॉक्टर के सलाह से उस लड़के को 1 दिन का समय दिया गया।
अगले दिन वह बच्चा डॉक्टर और मां के पास आया और बोला कि मैं बहन को रक्त देने के लिए तैयार हूं। सभी उस छोटे बच्चे के फैसले से खुश हुए। डॉक्टर और अस्पताल का पूरा स्टाफ जितनी हो सके उतनी तेजी से अपने काम में लग गया। थोड़ी ही देर में लड़के को अपनी छोटी बहन के बाजू वाले बेड पर लिटा दिया गया और उसका खून कलेक्ट करके उसकी छोटी बहन में ट्रांसफर किया गया देखते ही देखते छोटी बच्ची में फिर से जैसे नई जान अंकुरित हो गई!
सब बहुत खुश लग रहे थे सिवाय उस छोटे लड़के के। छोटे लड़के ने डॉक्टर और उसकी मां को अपने पास बुलाया और उनसे धीरे से पूछा कि अब मेरे पास जीने के लिए कितना समय बचा है?
दोस्तों, आपको कुछ समझ में आया?
जी हां उस छोटे लड़के को ऐसा लग रहा था की अपनी बहन को रक्त देकर वह अपनी जान उसको दे रहा है। इसीलिए शायद उसने सोचने के लिए समय मांगा था। बावजूद इसके कि उसे लग रहा था कि वह अपनी बहन को रक्त देकर जल्द ही मर जाएगा उसने अपनी बहन को बचाने का फैसला लिया इसे कहते हैं सेल्फलेस लव।
दोस्तो,
आपने अपने जीवन में कब किसी की मदद की थी आखिरी बार आप कब वास्तव में निस्वार्थ थे कब आपने वास्तव में अपने जीवन को जीया था और समस्या का सामना किया था, निस्वार्थ बनो, बहादुर बनो और प्यार करो
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