दादी नानी की कहानियां: मां-बच्चों को इंसाफ दिलाती है 'कौआ-हकनी' की कहानी, लों को छू जाएगी, ...

 

दादी नानी की कहानियां: मां-बच्चों को इंसाफ दिलाती है 'कौआ-हकनी' की कहानी, लों को छू जाएगी, ...

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बलिया: कुछ सालों पहले बच्चों को सुलाने के लिए दादी, नानी या मां कहानियां सुनाया करती थीं. लेकिन अब इन सब का चलन नहीं रहा. परिवारों के सिमटने के साथ-साथ, ये कहानियां जैसे कहीं गुम हो गईं. बचपन की वो खूबसूरत यादें जब याद आती हैं तो कहीं न कहीं दिलों को झकझोर जाती है. दादी, नानी या मां के द्वारा सुनाई जाने वाली प्राचीन कहानियां आज केवल यादगार बनकर ही तो रह गई हैं. राजा, महाराजा, नवाबों या अन्य तथ्यों पर आधारित वो कहानियां कहीं न कहीं किसी सच्चे माध्यम की तरफ इशारा करती थी. बलिया निवासी सनन्दन उपाध्याय बताते हैं कि बीते वर्षों माताजी का देहांत हो गया. लेकिन उनसे जुड़ी कुछ यादें जैसे कल की ही बात लगती है.  वो खूबसूरत यादें दिल-दिमाग आज भी बसी हुई हैं.

कौवा और हकनी की कहानी
मेरी माता जी तो अब दुनिया में नहीं हैं, लेकिन, मुझे याद है कि इस ठंड के मौसम में नीचे जमीन पर पुआल बिछाकर, उसके ऊपर कपड़ा रख बचपन में मां हमें सुलाया करती थी. उस समय सुलाने के लिए मां एक कहानी सुनाती थी, जिसकी छाप आज भी मेरे दिलों दिमाग में बनी हुई है. मां बताती थी कि एक बड़ा ही महान राजा थे, जिनकी एक पत्नी थी. राजा की कोई संतान नहीं थी. जब राजा का दूसरा विवाह हुआ तब पहली पत्नी को यह लगा कि राजा को अगर दूसरी पत्नी को अगर संतान की प्राप्ति हो गई तो हमारा अस्तित्व राजा के नजरों में समाप्त हो जाएगा.

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इसलिए पहली पत्नी अपने दासी से मिलकर इस समस्या पर बात करती है. लेकिन दासी भी बहुत चतुर होती है और वह कहती है कि देखो रानी अगर दूसरी पत्नी को संतान होगा तो उसको तालाब में फेंकवा दिया जाएगा. कुछ समय बाद, जब राजा की दूसरी पत्नी गर्भवती होती है तो राजा एक घंटी बांधते हैं और दूसरी पत्नी से कहते हैं कि अगर किसी भी तरह की कोई परेशानी हो तो इस घंटी को बजा देना. मैं पूरा दरबार छोड़कर तुम्हारे पास आ जाऊंगा.

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जिसपर दासी एक दिन रानी से कहती है कि रानी राजा तो कह गए हैं कि सब छोड़कर आ जाएंगे, लेकिन आएंगे कि नहीं एक बार आजमा कर तो देख लो. चालाक दासी की बात सुनकर रानी घंटी बजाती है और राजा सब काम छोड़ रानी के पास आ जाते हैं. इस पर रानी कहती है कि मैं तो आजमा रही थी कि आप सच में आते हैं या बस यूं ही कह गए हैं. दासी रानी से ऐसा एक-दो बार और करवाती है.  जिसपर राजा  असंतुष्ट होकर रानी से कहते हैं कि अब तुम कितना भी घंटी बजाओ मैं आने नहीं आऊंगा.

और फिर वो घड़ी आती है जब रानी संतान को जन्म देने वाली होती है. रानी घंटी बजाती रह जाती है लेकिन राजा नहीं आते. उनकी दूसरी पत्नी पुत्र और पुत्री दोनों को जन्म देती है. इधर राजा की पहली पत्नी दासी के साथ मिलकर के खड्यंत्र बनाती है और दोनों बच्चों को गांव से कुछ दूर ले जाकर जमीन के अंदर गड़वा देती है. और पूरे क्षेत्र में ये खबर आग की तरह फैल जाती है कि राजा की दूसरी पत्नी ने तो बच्चे की जगह ईट और पत्थर को जन्म दिया है


आगे 12 साल बाद…
कई सालों बाद जहां दूसरी रानी के बच्चों को दफनाया गया होता है वहीं पर पुत्र की जगह अमोल और पुत्री की जगह पर चमेली का फूल उग आता है. यह फूल इतने खुशबूदार होते हैं कि पूरे क्षेत्र के वातावरण को ही बदल देता है. हर कोई इस फूल को तोड़ना चाहता है, लेकिन जब तोड़ने का प्रयास किया जाता था तो फूल आसमान तक चला जाता था और कोई भी फुल पाने में सफल नहीं हो पाता. एक दिन ऐसा होता है कि एक कौवा फूल एक फूल ले जाकर राजदरबार में गिरा देता है पूरा राजदरबार फूल की खुशबू से महक उठता है.

राजा को वो फूल काफी पसंद आता है और वो ऐलान करते हैं कि जो कोई भी उनको ये फूल लाकर देगा, उसको वो अपना आधा राजपाट उसके नाम कर देंगे. राजा के तमाम सैनिक, दरबारी और  सलाहकार सभी फूल तोड़ने का प्रयास कर निराश होकर लौट आते हैं. वहीं दूसरी तरह राजा की दूसरी पत्नी का हंसी मजाक बनाकर, उसे पागल करार कर दिया गया था. लेकिन वह जाती है और राजा से कहती है कि मैं फूल लेकर लाऊंगी, जिस पर पूरा राजदरबार हंस पड़ता है.

लेकिन रानी जाती है और फूल की तलाश में वह वहां पहुंच  जाती है और जहां उसके बच्चों को दफनाया गया था. रानी अपनी बच्चों के करीब पहुंचती है तो बहन चमेली अपने भाई अमोल से आज्ञा लेकर पूरे जमीन पर फूलों से लदे तने को फैला देती है और मां अपने आंचल में फूल तोड़ कर ले जाती है. राज दरबार में रानी के पास फूल देखकर सभी के होश उड़ जाते हैं. तब राजा को लगता है कि कहीं न कहीं इसमें कोई तथ्य छिपा है. जिसके बाद राजा वहां स्वयं जाते हैं और उस स्थान को खुदवाते हैं.

जिसके बाद जमीन से 12 साल के खूबसूरत भाई-बहन निकलते हैं और राजा को प्रणाम कर अपनी आपबीती सुनाते हैं. राजा इसके बाद यह दावा करते हैं कि इस पागल कौवा हकनी मां के स्तन पर बड़े-बड़े तवा रखे जाएंगे. इन तवे को अगर छेद कर बच्चों के मुंह में दूध चला जाएगा तो इनकी बात सच मानी जाएगी और होता भी वही है बड़े-बड़े तवे को छेद कर बच्चों के मुंह में मां का दूध जाता है. इस घटना के बाद राजा अपनी पहली पत्नी को जल्लादो के हवाले करते हुए सजा सुनाते हैं. इस तरह एक मां को न्याय मिलता है और बुराई का अंत होता है.

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