हाथ की सफाई

 - हाथ की सफाई


लेखक - लालजी वर्मा



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दूकान पर बैठा करीम मख्खियाँ मार रहा होता है. करीम दूकान के सामने वाली गली से लोगो को रास्ते पर आते-जाते निहारता रहता है. करीम गल्ले से उठकर दूकान के भीतर जा "फेयर एंड लवली" क्रीम अपने चेहरे पर मलता है और दोबारा आकर गुल्ले पर बैठ जाता है.


करीम - हाय अल्लाह! अब तो किसी कस्टमर को भेज दे. सुबह छे बजे से बैठा हूँ लेकिन अब तक एक मैना तक नहीं आई.


सलमा इठलाते हुए करीम के दूकान पर आती है.


करीम - हाय अल्लाह! क्या खिदमत करू? आप बडे दिनों के बाद हमारी दूकान पर आई हैं. 


सलमा - दुत! तू क्या मेरी खिदमत करेगा, कल मैं तेरे बगल वाले कल्लू हलवाई की दूकान पर गयी थी. उसने मुफत में हमें प्योर खोये कि मिठाई खिलाई.


करीम - अरे क्या बात करती है. ओ तो एक नंबर का बइमान है. खोवा में आलू मिक्स करके बेच लेता है. रुक तुझे मैं असली माल खिलाता हूँ.


करीम अपने दूकान की भरनी से नानखटाई की बिस्कुट निकाल सलमा को देता है. सलमा बिस्कुट ले बडे चाव से खाती है.


सलमा - अच्छे हैं. अच्छा चल बोल कितने पैसे हुए. और एक नहाने का अच्छा वाला साबुन भी देदे.


करीम - अब ले सलमा मैं क्या तुझसे पैसे लूंगा? हाय अल्लाह, ये मेरी दूकान नहीं, नहीं तो मैं सारी दूकान तुझे खिला देता.


सलमा - क्या?


करीम सलमा की ओर निहारते हुए रेक से निकाल कर सलमा को साबुन देता है.


करीम - अरे कुछ नहीं, ले तेरे नहाने का साबुन. इस साबुन से नहाते ही तेरा चेहरा टमाटर की तरफ लाल-लाल हो जाएगा.


करीम और सलमा दोनों आँखों ही आँखों में नैन मटक्का करते रहते हैं. उसी वक़्त गफ्फार मियाँ दूकान पर आते हैं. 


गफ्फार मियाँ - करीम ये क्या हो रहा है? 


करीम – (हडबडा कर) करीम कुछ नहीं मैं तो नहाने का साबुन दे रहा था.


गफ्फार मियाँ - अबे दफर. ये नहाने का नहीं, बर्तन साफ़ करने का साबुन है.


सलमा - क्या?


गफ्फार करीम के हाथ से साबुन ले, रेक से बदलकर सलमा को देता है.


गफ्फार मियाँ - ले बेटी और जा. जब मैं रहूँ तभी आया कर सामान लेने. नही तो ये दफर तुझे कुछ भी उल्टा-सुलटा सामान तुझे धरा देगा. 


सलमा - ठीक है चचा मैं चलती हूँ.


गफ्फार मियाँ - बेटी पैसे?


सलमा - चचा ये करीम तो बोल रहा था पैसे देने की जरूरत नहीं. 


गफ्फार मियाँ - नहीं बेटा पैसे तो देना होगा. नहीं तो ये दूकान कैसे चलेगी?


सलमा - ठीक है चाचा ये ले लो पैसे.


सलमा गफ्फार को दस के नोट देती है और दूकान से चली जाती है. गफ्फार दूकान से झाड़ू लेकर करीम के पास आता है.


गफ्फार मियाँ - क्यों बे दफर की औलाद, दूकान क्या तेरे बाप की है? जो तू सब को फ्री में सामान बाट रहा है.


करीम - चचा जान सब को कहाँ सिर्फ सलमा को.


गफ्फार मियाँ - अबे लगता है तू मेरी दुकान इस मोहल्ले से भी बंद करवाएगा. 


गफ्फार मियाँ करीम को झाड़ू से मारता है. गफ्फार झाड़ू को एक कोने फेक दूकान के गल्ले पर बैठता है. गल्ले पर पड़ी कुछ रसीदों को उठाकर देखता है.


गफ्फार मियाँ - अबे दफर ये "फेयर एंड लोवली" की क्रीम कब आई. दूकान में तो नजर नहीं आ रही. 


करीम - चाचा ओ सारी बिक गयी.


गफ्फार मियाँ - अरे वाह! क्या बात है, एक ही हफ्ते में आधे दर्जन क्रीम इस मोहल्ले में बिक गए.


करीम अपना चेहरा गफ्फार के पास ले जाता है.


करीम - जी चचा जान.


गफ्फार करीम के चेहरे की ओर बडे गौर से देखता है.


गफ्फार मियाँ - अरे करीम अभी कुछ दिन पहले तक तेरा चेहरा काले जिन की तरह लग रहा था पर आज ये काफी चमक रहा है. ओ कैसे? ओह! अब समझा. क्रीम का इस्तेमाल यहाँ हो रहा है. 


गफ्फार दुबारा झाड़ू उठाकर करीम की पिटाई करता


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